हेल्लो दोस्तों इस आर्टिकल शब्द, शब्दों के भेद | शब्द किसे कहते हैं?,उदाहरण सहित के माध्यम से हम शब्द की परिभाषा और उनके प्रकारों के बारे में चर्चा करेंगे,जो की किसी भी भाषा का मूल है हिंदी में तो शब्दों की और भी महत्ता है तो चलिए सीखते हैं
शब्द की परिभाषा (Shabd Ki Paribhasha)
वर्णों के एक विशेष समूह को जिसका की एक अर्थ निकलता हो उसे शब्द कहते हैं. अर्थात शब्द वर्णों के योग से मिलकर बना होता है जिसका की कुछ ना कुछ एक अर्थ निकलता है
जैसे- मैं अभी आऊंगा।
इस वाक्य में तीन शब्द हैं पहला मैं जो कि मुख्य रूप से दो वर्णो म के नीचे हलंत तथा ऐ से मिलकर बना है, दूसरा शब्द अभी तीन वर्णों से मिलकर बना है।
हिंदी भाषा में लगभग 2 लाख शब्द पाए जाते हैं पाए जाते हैं जिसमें से की 85% भारतीय भाषा का तथा शेष 15% अन्य विदेशी भाषा का योगदान शामिल है । हिंदी भाषा को विदेशी भाषा ने समृद्ध बनाने में महती भूमिका निभाई है । हिंदी भाषा का स्वभाव उदारवादी और समन्वय पूर्ण रहा है जिसके वजह से विदेशी शब्दों को हिंदी ने अपने अनुरूप ढाल लिया है ।
शब्द भेद अथवा शब्दों के प्रकार (Shabd Ka Vargikaran)
शब्दों के प्रकार चार आधार पर निर्धारित किए जाते हैं
1)अर्थ के आधार पर
2)उत्पत्ति के आधार पर
3)रूपांतर के आधार पर
4)व्युत्पत्ति अथवा रचना के आधार पर
1)अर्थ के आधार पर -
अर्थ के आधार पर शब्द का दो भागों में वर्गीकरण किया गया है सार्थक और निरर्थक
सार्थक शब्द-वे शब्द जिनका की एक निश्चित अर्थ होता है सार्थक शब्द कहलाते हैं. जैसे आंगन ,मकान, पानी, स्कूल आदि
निरर्थक शब्द- वे शब्द जिनका की कोई अर्थ नहीं होता है निरर्थक शब्द कहलाते हैं जैसे- फटाफट, सटासट आदि
हिंदी भाषा में कुछ निरर्थक शब्दों का प्रयोग सार्थक शब्दों के साथ किया जाता है. जैसे पढ़ाई -वढ़ाई, खाना-वाना, ठीक-ठाक आदि । इसमें वाना, थाट,वढ़ाई आदि ऐसे शब्द हैं जो कि निरर्थक हैं परंतु इनका सार्थक शब्दों के साथ प्रयोग होना सार्थक बना जाता है ।
2) उत्पत्ति के आधार पर-
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का मूल रूप से पांच भागों में वर्गीकरण किया गया है ।
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- वर्णसंकर शब्द
- विदेशज शब्द
- देशज शब्द
तत्सम शब्द-
यह शब्द संस्कृत के उन शब्दों के अंतर्गत आते हैं जिनका की प्रयोग हिंदी भाषा में ज्यों का त्यों कर दिया जाता है. जैसे दुग्ध, जल, मुख इत्यादि ।
तद्भव शब्द-
यह शब्द हालांकि संस्कृत शब्दों के अंतर्गत आते हैं परंतु धीरे धीरे इनके स्वरूप में परिवर्तन हो जाता है और इनका प्रयोग हिंदी में किया जाता है. जैसे- पानी, दूध, मुंह आदि ।
वर्णसंकर शब्द-
इस प्रकार के शब्दों के निर्माण में दो अलग भाषाओं का समामेलन अथवा योग होता है । जैसे रेलयात्री शब्द में रेल अंग्रेजी शब्द तथा यात्री हिंदी शब्द है, देनदार शब्द में देन हिंदी शब्द है तथा दार फारसी शब्द है, गुसलखाना में गुसल अरबी शब्द तथा खाना फारसी शब्द है ।
विदेशी शब्द (Videshi Shabd) -
इस प्रकार के शब्द का प्रयोग विदेशी भाषाओं के रूप में ज्यों का त्यों रूप में कर दिया जाता है । अंग्रेजी, फारसी, अरबी ,तुर्की इत्यादि शब्दों का प्रयोग हिंदी में किया गया है । यह विदेशी शब्द कहलाते हैं । हिंदी भाषा में विदेशी शब्दों के रूप में फारसी शब्दों की संख्या अधिकतम है। फारसी शब्द मूल रूप से मुगलकालीन शिक्षा तथा शासन की भाषा थी जिसके वजह से हिंदी पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा ।
हिंदी भाषा में फारसी शब्द का ज्यों का त्यों प्रयोग नहीं किया गया है अपितु इसमें कुछ ना कुछ परिवर्तन करके ग्रहण किया गया है । जैसे- फारसी शब्द परवा को परवाह, दुकां को दुकान आदि ।
हिंदी भाषा में अंग्रेजी शब्दों की संख्या का योगदान काफी महत्वपूर्ण है । हिंदी भाषा में अंग्रेजी शब्दों के स्वरूप को थोड़ा बहुत परिवर्तित करके अपनाया गया है । जैसे- ग्लास को गिलास, ऑफिसर को अफसर, बॉटल को बोतल इत्यादि ।
हिंदी में प्रचलित शब्द चाय और चीनी को चीनी भाषा से ग्रहण किया गया है
आका, तलाश, सौगात, तोप,बहादुर, लाश, कालीन,कुली, मुचलका, कुर्ती आदि शब्दों का चयन तुर्की भाषा से किया गया है ।
अलमारी, ऑलपिन, जंगला, तंबाकू, मिस्त्री, दरोगा, तिजोरी, फालतू, साबुन आदि शब्दों का चयन पुर्तगाली भाषा से किया गया है ।
अमीर, मुकदमा, औरत, अदालत, तकलीफ, एहसान, इस्तीफा, फिक्र आदि शब्दों का चयन अरबी भाषा से किया गया है ।
देशज शब्द
हिंदी भाषा में क्षेत्रीय बोलियों और भाषाओं से लिए गए शब्दों को देसी अथवा देशज शब्द कहते हैं. जैसे प्रगति, उपन्यास, नितांत, भद्र इत्यादि
रूपांतर के आधार पर शब्दों के भेद
इसके अंतर्गत दो प्रकार के शब्द भेद होते हैं
विकारी तथा अविकारी
विकारी शब्द- जिन शब्दों में वचन, कारक तथा लिंग के आधार पर परिवर्तन होता है, विकारी शब्द कहलाते हैं जैसे वह, हम, बालिका इत्यादि
विकारी शब्दों के चार भेद होते हैं
- संज्ञा
- सर्वनाम
- क्रिया
- विशेषण
अविकारी शब्द अव्यय शब्दों के नाम से भी जाने जाते हैं
- क्रिया विशेषण
- समुच्चयबोधक
- संबंधबोधक
- विस्मयादिबोधक
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्दों के भेद-
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं
- यौगिक
- रूढी
- योगरूढी
रूढी शब्द- इस प्रकार के शब्दों को खंडित करने पर कोई अर्थ नहीं निकलता है अर्थात यह शब्दों के योग से नहीं बनते हैं जैसे काम, क्रोध आम इत्यादि
योगरूढी शब्द - यह शब्द दो अथवा दो से अधिक शब्दों के समामेलन अथवा जोड़ से बनते हैं साथ ही साथ यह कोई निश्चित और विशेष अर्थ देते हैं. जैसे जलज, जलधि इत्यादि
इसमें जलज का खंडन जल तथा जा मैं होता है जिसका अर्थ है कि जो जल में उत्पन्न होता है अर्थात कमल
जलधि का खंडन जल और धी में होता है जिसका अर्थ है कि जोजो को धारण करता है अर्थात बादल
हिंदी भाषा; एक संक्षिप्त परिचय
भारत में हिंदी भाषा का विकास वैदिक काल से ही देखने को मिलता है जैसा कि ऋग्वेद में उल्लिखित है।
भारत में संस्कृत भाषा व्यवहारिक जनसामान्य में पुरातन काल से ही प्रचलित है। प्रकांड ऋषि-मुनियों तथा शासन के कामकाज में भी इस भाषा का प्रयोग किया जाता रहा है। संस्कृत भाषा को देव भाषा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी भाषा संस्कृत भाषा की उत्तराधिकारी भाषा है।
हिंदी का नामकरण फारसी कवि कॉफी ने सर्वप्रथम हिंदवी शब्द के माध्यम से किया जो की तेरहवीं सदी के आसपास की घटना है तत्पश्चात 16 मी सदी में मलिक मोहम्मद जायसी ने भी हिंदी शब्द का प्रयोग किया 17 वीं सदी तक मुस्लिम कवियों द्वारा हिंदवी और हिंदी दोनों शब्दों का प्रयोग किया जाने लगा।
अंग्रेजों के आगमन के समय हिंदी को हिंदुस्तानी नाम से कहां गया परंतु जनमानस ने हिंदी नाम को ही पूर्ण तह स्वीकृति प्रदान किया।
हिंदी शब्द मूल रूप से फारसी भाषा का है. संविधान के निर्माण के समय हिंदी को राजभाषा स्वीकार किया गया क्योंकि यह व्यापक रूप से राष्ट्रीय एकता अखंडता तथा जनसंपर्क की सुलभ भाषा थी इस को राजभाषा के रूप में 14 सितंबर 1949 को स्वीकृति प्रदान किया गया।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 351 हिंदी भाषा के उत्थान हेतु प्रावधान किया गया है।
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